आज मैं कॉन्था साड़ी के बारे में जो भी थोड़ा बहुत जानकारी रखती हूँ आपके साथ share करूँगी|
कॉन्था एक तरह की एम्ब्रॉड्री का काम होता है जो कि West Bengal के भोलपुर – शांतिनिकेतन के इलाक़े में जन्मा और हर तरह के फ़ैब्रिक पे बनाया जाने लगा।
जैसे सदियों से महिलाएँ अपने क़िस्से-कहानियाँ कला और संगीत के माध्यम से कहती चली आयीं हैं, बंगाल में ये कहानियाँ कॉन्था एम्ब्रॉडरी के ज़रिए कही जाती हैं। ये एक तरह की folk-art है जिसमें रंग बिरंगी प्रतिलिपि और नमूने रंगीन धागों की running इस्तेमाल से अलग अलग फ़ैब्रिक्स पर उकेरा जाता है। कॉन्था एम्ब्रॉड्री बंगाल की ग्रामीण महिलाओं के जीवन की कहानियाँ कहता है, ये उनके जीवन की ख़ुशियाँ, ग़म और भविष्य के सपनों को दर्शाता है।
Kantha Enbroidary वैसे तो हर फ़ैब्रिक पे की जाती है पर ज़्यादातर Art Silk या Banglore Silk, Tussar Silk etc चलन में रहता है। ये आपको मिले जुले रंगों और हज़ारों designs & patterns में मिलेंगी। ये आपको Rs.3500 से शुरू होकर Rs.25000/- तक किसी भी Price Range में fabric, work and design के according मिल जाएगी। अगर आप Pure Silk में लें तो Silk Mark Card लेना ना भूलें।
साड़ी के अलावा कॉन्था एम्ब्रॉड्री ब्लाउस पीस, स्टोल, ड्रेसमटीरीयल भी ना केवल भारत बल्कि दुनिया भर में बोहत पसंद किया जाता है।
एक बोहत महत्वपूर्ण बात, कॉन्था, चिकनकारी और फुलकारी ये तीनो ही एम्ब्रॉड्री के अलग अलग फ़ेमस patterns हैं और भारत के अलग अलग regions में जन्मे है, ये सभी एक दूसरे से भिन्न और अपने आप में बेहद ख़ास है, धीरे धीरे आपको सब बताऊँगी। इस topicके साथ अपनी mother-in-law की 20 साल पुरानी कॉन्था सिल्क साड़ी में फ़ोटो दे रही हूँ, इससे आपको कॉन्था एम्ब्रॉड्री के look and feel का अंदाज़ा मिलेगा। हालाँकि ये बहुत basic pattern है आज कल इससे कहीं ज़्यादा खूबसूरत multicolor patterns & stories available हैं।
आप में से किसी के पास भी कॉन्था के बारे में और जानकारी हो तो please coments में ज़रूर लिखें और जिनके पास कॉन्था की साड़ियाँ हों वो अपनी photographs हमारेinstagram and facebook पेज पर हमें stories में tag ज़रूर करियेग।